कहानी: सुनसान बंगले का राज
सुनसान जंगल के बीचों-बीच, एक पुराना और बड़ा सा बंगला था। चारों तरफ पेड़ों से घिरा हुआ, यह बंगला हमेशा अंधेरे और रहस्यमय सन्नाटे में डूबा रहता। कहते हैं कि यहां रात में अजीब-अजीब आवाजें आती थीं, जैसे किसी की सिसकियां या हंसी।
गांव के लोग इस बंगले का नाम तक लेने से डरते थे। लेकिन, कुछ लोग जो वहां से गुजरते, वे कभी वापस नहीं लौटते।
एक दिन, रोहित और उसके दोस्त जंगल में घूमने निकले। उन्हें इस बंगले के बारे में कुछ कहानियां सुनाई दी थीं। जिज्ञासा से भरे हुए, उन्होंने बंगले तक पहुंचने की ठानी।
बंगले के पास पहुंचते ही, उन्हें एक लड़की दिखाई दी। वह सफेद कपड़ों में थी, उसके लंबे काले बाल चेहरे पर गिर रहे थे, और उसकी आंखें अजीब सी चमक रहीं थीं।
“क्या आप लोग खो गए हैं?” लड़की ने धीमी और मुलायम आवाज में पूछा।
“हाँ, हम जंगल में भटक गए थे। ये बंगला किसका है?” रोहित ने पूछा।
लड़की ने मुस्कुराते हुए कहा, “यह मेरा घर है। आप अंदर आ सकते हैं, आराम कर लीजिए।”
जैसे ही वे अंदर गए, उन्होंने देखा कि बंगला अंदर से और भी अजीब था। दीवारों पर पुरानी तस्वीरें टंगी थीं, फर्श लकड़ी का था जो हर कदम पर चरमरा रहा था, और हवा में अजीब सी ठंडक थी।
थोड़ी देर बाद, रोहित और उसके दोस्तों को कुछ अजीब महसूस होने लगा। लड़की अचानक गायब हो गई थी। तभी, एक जोरदार आवाज के साथ दरवाजा बंद हो गया।
“यह क्या हो रहा है?” एक दोस्त चिल्लाया।
अचानक, दीवारों से खून बहने लगा, और लड़की फिर से सामने आई। अब वह एकदम बदल चुकी थी। उसके चेहरे पर डरावना भाव था, और उसकी आंखें गुस्से से जल रहीं थीं।
“तुम लोग यहां से वापस नहीं जा सकते।” उसने गहरी और डरावनी आवाज में कहा।
रोहित और उसके दोस्तों ने भागने की कोशिश की, लेकिन बंगले के दरवाजे और खिड़कियां बंद हो चुकी थीं। वे चीखते रहे, लेकिन कोई उनकी मदद को नहीं आया।
अगली सुबह, गांव वालों ने सुना कि फिर से कुछ लोग गायब हो गए थे। और यह राज हमेशा की तरह अनसुलझा रह गया।
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